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अमित जोगी को सर्वोच्च कोर्ट से बड़ी राहत, छत्तीसगढ़ राज्य और सतीश जग्गी की याचिकाएं हुईं खारिजअमित जोगी ने फैसले को “न्याय की ऐतिहासिक जीत” बताया

अमित जोगी

स्वदेश टाइम्स :-नई दिल्ली, 6.11.25 – जग्गी हत्याकांड मामले में सर्वोच्च न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले ने  अमित जोगी की बेदाग छवि को एक बार फिर से पुष्ट किया है। अदालत ने जोगी की दोषमुक्ति को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ राज्य और  सतीश जग्गी की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे  जोगी को बड़ी कानूनी राहत मिली है।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश के प्रभावी भाग में निर्देश दिया कि:

  1. छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा दायर दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील खारिज।
  2. सतीश जागी द्वारा दायर दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील में पुनर्विचार याचिका के रूपांतरण हेतु आवेदन खारिज।
  3. उच्च न्यायालय को अमित जोगी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील दायर करने में हुई देरी की माफी हेतु सीबीआई के आवेदन पर, तथ्यों और कानून के आधार पर विचार करने का निर्देश।

यह आदेश उच्च न्यायालय के उस पूर्व के फैसले को बरकरार रखता है, जिसमें  जोगी की दोषमुक्ति को चुनौती देने वाली सभी चार याचिकाओं (छत्तीसगढ़ राज्य, सीबीआई और सतीश जागी द्वारा दायर) को खारिज कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अब उच्च न्यायालय के इस फैसले को राज्य और जागी के संदर्भ में पूर्ण रूप से बरकरार रखा है।

इस ऐतिहासिक जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए  अमित जोगी ने कहा, “यह न्याय की एक ऐतिहासिक जीत है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने न केवल मेरी निर्दोषता पर एक और मुहर लगा दी है, बल्कि भारतीय न्याय प्रणाली में मेरे अटूट विश्वास को भी स्थापित किया है। यह फैसला साबित करता है कि सत्य और न्याय की अंततः जीत होती है। मैं अपने परिवार, मित्रों और विशेष रूप से मेरी कानूनी टीम का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इस लंबी कानूनी लड़ाई में मेरा साथ दिया।”

पृष्ठभूमि:
अमित जोगी को जग्गी हत्याकांड मामले में सत्र अदालत द्वारा वर्ष 2005 में ही पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया गया था। इसके बाद, छत्तीसगढ़ राज्य और सीबीआई ने दो अपीलें दायर कीं, जबकि सतीश जग्गी ने एक पुनर्विचार याचिका और एक रूपांतरण आवेदन दायर किया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इन सभी चारों याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने आज के अपने आदेश से उच्च न्यायालय के फैसले को राज्य और  जग्गी के संदर्भ में बरकरार रखा है।



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